हम भी देखेंगे
हम देखेंगे
विधिवत है हम भी देखेंगे
वो युग कि जिसका वादा है
जो वेद-पुराण में साधा है
कलियुग के दानव दहशतगर्द
माया की तरह उड़ जाएँगे
धर्म वीरों के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और उपनिवेशियों के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब राम की पावन भूमि से
मक़बरे उठवाए जाएँगे
सदियों से पीड़ित शोषित हम
जो रखे हैं रीति-ओ-धर्म
सिंहासन पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा राम का
जो निर्गुण भी है सगुण भी
जो साध्य भी है साधन भी
हर हर महादेव का नारा ही
जो मैं भी शिवा और तुम भी शिवा
और राज करेंगे शिव के गण
वन्दे मातरम वन्दे मातरम!
Note:
The poem “Ham Dekhenge” by Faiz was objected to by some for using Islamic imagery, but others have argued that this is a poem of secular protest and the Islamic imagery is incidental.
Accordingly I have re-written it replacing Islamic imagery with Hindu imagery but keeping the original sense.. This will allow the protests to be more inclusive. Just as Hindu students have sung the Faiz poem, I hope Muslim protestors will also join their fellow Hindu students in using this, thereby honoring diverse traditions.
Parody of an original poem by Faiz Ahmed Faiz. Parody is a fair use under Copyright Law. This version © Sankrant Sanu, 2020
Brilliant reply
संक्रांत!
प्रशंसनीय कृति और प्रत्युत्तर। आज के इस बुद्धिजीविता (intellectual) के कुरुक्षेत्र में इसी प्रकार अपना पक्ष, अपने नैरटिव आगे करने होंगे। यदि फ़ैज की रचना को इस प्रकार दिखाया जाता है तो अवश्य ही आपके उत्तर (हमारे पक्ष) को भी उतनी ही सहिष्णुता मिलेगी, इसकी अपेक्षा तो की जा सकती है। वैंसे किसी वर्ग विशेष की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी, वह सर्वविदित है। साधुवाद।
A beautiful reply to the self righteous people
अद्भुत ! आपको साधुवाद !!
बहुत ही सुंदर जवाब है फैज़ अहमद की सोच रखने वाले जिहादियों को!
अब भारत में इस्लामिक जिहाद और उसके कतलेआम इतिहास पर खुलकर चर्चा होने की जरूरत है। कुरान, हदीस और सीरत हिंदु जाने और इसको पढ़े।
शरिया क्या है इसको हिन्दुओं को समझना होगा क्योंकि वास्तविक शरिया क़ानून की सच्चाई आईएसआईएस और तालिबान ही हैं।
आज भी इस्लाम के जानकार कई विद्वान इसको बता रहे हैं। जो अच्छी बात है।
Anthem for the Hindus
So good, perfect piece of writing and Narrative is clear, hats off
Dhanyawad Sanu ji.